पूर्णागिरी मंदिर और आस-पास के अन्य प्रमुख मंदिर

पूर्णागिरी मंदिर उत्तराखंड के टणकपुर से लगभग 17 किलोमीटर दूर स्थित है। यह मंदिर माता पूर्णागिरी को समर्पित है, जिन्हें शक्ति की देवी माना जाता है और यह शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर के आसपास और भी कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल स्थित हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था और भक्ति का केंद्र बने हुए हैं। आइए जानते हैं, पूर्णागिरी मंदिर के पास स्थित अन्य मंदिरों के बारे में:



1. पूर्णागिरी मंदिर

  • स्थान: यह मंदिर समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
  • कहानी - किंवदंती के अनुसार, जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शव को लेकर घूम रहे थे, तब देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे। इन स्थानों को शक्तिपीठ कहा जाता है। इसी तरह देवी सती की नाभि यहाँ गिरी थी, और तभी से इसे एक प्रमुख शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति का वास होता है।
  • महात्म्य: यह मंदिर देवी सती के नाभि स्थल पर स्थित है, और यहां की यात्रा करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं। यहां आकर श्रद्धालु देवी के दर्शन करके अपनी मनोकामनाएं पूरी करने की प्रार्थना करते हैं।
  • त्योहार: चैत्र नवरात्रि के समय यहाँ बहुत बड़ा मेला आयोजित होता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं।

2. झूठे का मंदिर

  • स्थान - यह स्थान पूर्णागिरी जाते हुए रास्ते में पड़ता है । 
  • कहानी: झूठे का मंदिर एक दिलचस्प कहानी से जुड़ा हुआ है। एक व्यापारी ने माँ पूर्णागिरी से वादा किया था कि यदि उसका बेटा स्वस्थ होगा, तो वह सोने की वेदी बनवाएगा। लेकिन व्यापारी ने लालच में आकर तांबे की वेदी बनाई। जब मंदिर को उठाने का प्रयास किया गया, तो वह उठ नहीं सका, और यह साबित हो गया कि वादा पूरा करने के बिना मंदिर को स्थानांतरित नहीं किया जा सकता। इसके बाद व्यापारी ने अपना वादा पूरा किया।
  • महत्व: यह मंदिर सचाई और वचनबद्धता का प्रतीक है।

3. काली माता मंदिर

  • स्थान: पूर्णागिरी मंदिर के पास स्थित काली माता का मंदिर देवी काली को समर्पित है।
  • महत्व: देवी काली को बल, शक्ति और रक्षण की देवी माना जाता है। यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी शारीरिक और मानसिक शक्तियों को सशक्त करने के लिए पूजा अर्चना करते हैं। मान्यता है कि पूर्णागिरी माता के दर्शन करने के बाद इस स्थान पर नारियल चड़ाने से माँ अत्यंत प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामना पूरी करती हैं । 
  • कहानी: यह मंदिर उस स्थान पर स्थित है जहां देवी काली ने राक्षसों का संहार किया था। यह मंदिर नकारात्मक ऊर्जा से बचाव और शांति की प्राप्ति के लिए प्रसिद्ध है।

4. भैरव बाबा मंदिर

  • स्थान: यह मंदिर भी पूर्णागिरी मंदिर के पास स्थित है और भक्तों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
  • महत्व: भैरव बाबा, जो भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं, उनके दर्शन के बिना पूर्णागिरी मंदिर की यात्रा अधूरी मानी जाती है। यहां दर्शन करने से भक्तों को यात्रा में सुरक्षा और आशीर्वाद मिलता है।
  • कहानी: भैरव बाबा को यात्रा सुरक्षा के देवता के रूप में पूजा जाता है, और उनका आशीर्वाद यात्रा के दौरान सुरक्षा का प्रतीक होता है।

5. सिद्ध बाबा मंदिर (नेपाल)

  • स्थान: सिद्ध बाबा मंदिर नेपाल के महाकाली जिले में स्थित है, जो भारतीय सीमा के पास है। यहाँ जाने के लिए आप टनकपुर से सीधे प्रवेश कर सकते हैं । कुछ श्रद्धालु बनबसा से होते हुए महेंद्र नगर से भी बाबा के दर्शन करने जाते हैं ।
  • महत्व: यह मंदिर एक साधू संत, सिद्ध बाबा को समर्पित है, जिन्होंने अपनी कठोर तपस्या से सिद्धि प्राप्त की थी। श्रद्धालु यहां आकर शांति और मानसिक सुख की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं। माँ पूर्णागिरी के आशीर्वाद स्वरूप बिना इस स्थान की यात्रा किए माँ के दर्शन का फल प्राप्त नहीं होता है ।
  • कहानी: सिद्ध बाबा ने यहां ध्यान और साधना की थी, और यही कारण है कि यह मंदिर ध्यान साधकों और भक्तों के लिए एक प्रमुख स्थल है। 

इन मंदिरों तक पहुँचने का मार्ग:

  1. पूर्णागिरी मंदिर तक पहुँचने के लिए श्रद्धालु टनकपुर रेलवे स्टेशन से बस या टैक्सी द्वारा थुलीगाड़ तक पहुँच सकते हैं, और वहाँ से करीब 2 किलोमीटर की पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुँच सकते हैं।
  2. झूठे का मंदिर और काली माता मंदिर भी पूर्णागिरी मंदिर के पास स्थित हैं, इसलिए इन तक पहुँचने के लिए कोई अतिरिक्त यात्रा की आवश्यकता नहीं है।
  3. सिद्ध बाबा मंदिर तक पहुँचने के लिए नेपाल सीमा पार करनी पड़ती है, और यह स्थान भारतीय सीमा के महाकाली ब्रिज, टनकपुर के पास स्थित है। कुछ श्रद्धालु बनबसा महेंद्र नगर से भी बाबा के दर्शन के लिए जाते हैं ।  

सर्वोत्तम यात्रा का समय:

इन मंदिरों की यात्रा करने के लिए सबसे अच्छा समय चैत्र नवरात्रि और अश्विन नवरात्रि का है, जब यहां विशेष पूजा और भव्य मेले आयोजित होते हैं। इन दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है और यह समय विशेष रूप से श्रद्धालुओं के लिए शुभ होता है।

पूर्णागिरी मंदिर और उसके आस-पास स्थित अन्य मंदिर जैसे झूठे का मंदिर, काली माता मंदिर, भैरव बाबा मंदिर, और सिद्ध बाबा मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि इन स्थानों के साथ जुड़ी कहानियाँ और स्थानीय मिथक इन्हें और भी रोचक बनाते हैं। इन मंदिरों की यात्रा करने से एक नई आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है, और यहाँ की शांति और दिव्यता श्रद्धालुओं को आत्मिक शांति और आशीर्वाद प्रदान करती है।

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